२० साल पहले:
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हमारे छोटे से गावं में आज बाँध के निर्माण का शिलान्यास होना हैं, पूरा गावं दुल्हन की तरह सजा हुआ है.
आप सोच रहे होंगे की इसमें इतना खुश क्यों हुआ जाए शिलान्यास ही तो हो रहा है, बाँध बना तो नहीं.
अरे साहेब, ये शिलान्यास भी बड़ी चमत्कारी चीज़ है, सिर्फ इस शिलान्यास के चलते, हमारे गावं में सड़क बन गयी, तम्बू तन गए और बच्चो के लिए स्कूल भले न खुले, कई शराब के ठेके जरुर खुल गए. नए नए मंत्रीजी का पहला शिलान्यास है, तो पूरा परिवार उनके जीवन के इस अहम् मौके पर उनके साथ शिलान्यास करने के लिए हमारे गावं आने वाला है.
मंत्रीजी के रुकने की व्यवस्था के चलते कई लघु उद्योग निकल पड़े है, जैसे की मंत्रीजी के चमचो को लेकर स्थानीय शराब विक्रेता बड़े ही उत्साहित है, सब्जी मंडी में सब्जियों के भाव आसमान छु रहे है, कई दिन हो गए बनिए ने दूकान नहीं खोली, अब to शायद तभी खुलेगी जब मंत्रीजी आयेंगे.. पूरे दो दिन का कार्यक्रम बनाया है शिलान्यास का.
अब आपको उसमे भी आप्पत्ति होगी की एक कार्यकर्म के लिए २ दिन क्यों? तो ये भी सुन लीजिये, मंत्रीजी ने आज तक कोई काम कच्चा नहीं किया है. जब पहला क़त्ल किया था तब भी जगह से हिले नहीं थे जब तक तस्सल्ली नहीं हो गयी की वाकई उनका विरोधी परलोक सिधार चूका है, जब पहली बार चुनाव लड़ा था तब बूथ काप्त्चुरिंग भी खुद की निगरानी में करवाई थी. तो किसी भी काम में बारीक से बारीक चीजों को भी गंभीरता से लेते है और ये तो उनका पहला शिलान्यास है, इसमें तो किसी प्रकार का कोई जोखिम मंत्रीजी ले ही नहीं सकते. तो मंत्रीजी ने भांति भांति के पत्थर मंगवा के रखे है और उन पर कई नामचीन शिल्पकारों ने मोतियों जैसे अक्षरों से मंत्रीजी का नाम लिखा है, इसके उपरान्त उद्घतान के लिए मंच और ५०० लोगो को मुफ्त भोज एवं कर्जदार किसानो का कर्ज भी माफ़ करने की घोषणा का मूड मंत्रीजी बना ही चुके थे.
किसी ने मंत्रीजी को बीच में टोक कर कहा की इस गावं में तो कोई कर्जदार नहीं है, सभी ने समय के चलते अपने अपने कर्ज का भुगतान किया है, इस पर मंत्रीजी चुटकी लेते हुए बोले, तो अभी भी वक़्त है, तुरंत जाके लोन बाटों, जिसे हम उन्हें माफ़ कर सके.
आज:
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खैर, मालिक की कृपा से शिलान्यास हो ही गया और ऐसी धूम धाम से हुआ साहब की अडोस पड़ोस के पच्चास गावो में हमारे गाव की शान बढ़ गयी. आज उस शिलान्यास समारोह को करीब २० साल बीत चुके है लेकिन वो पत्थर जो मंत्रीजी हमारे गावं को उपहार स्वरुप दे गए थे, वो आज भी वही खड़ा है. अब न मंत्रीजी रहे, न ही उस बांध को बनाने की योजना, लेकिन मंत्रीजी की दरियादिली के चलते, हमारे गावं को कुछ हसीं पल और एक यादगार शाम ही नसीब हो गयी.