Thursday, 30 August 2012

मैडम जी का सिंहासन

बेटी की उम्र  सरीखे बढ़ते भ्रष्टाचार से त्रस्त है ,
आम आदमी होने की कुंठा से ग्रस्त है।

कल मत्री जी मजाक में महंगाई को अच्छा बता गए,
जाने अनजाने में मेरी बिटिया का खिलौना चुरा गए।

एक महोदया इस तमाशे से अनभिज्ञ है,
29 रुपये में ऐश का पूरा बंदोबस्त है।

कभी आइसक्रीम खाने की ख्वाइश रखना पाप हो गया,
एकाएक में रईसों की श्रेणी में आ गया।


एक रात मेरा जीवन यु धन्य हो गया,
मेरे सपने में मुझे संसद भवन दिख गया।

एक महफ़िल सी सजी थी और सिहासन पर मैडम जी चड़ी थी,
सारे मंत्री अपने अपने राग गा रहे थे, कुछ चीख रहे थे तो कुछ चिल्ला रहे थे।

 एक मंत्री तो पूरे शक्कर में सने खड़े थे, और उनके पीछे चाटने वाले कुछ संत्री पड़े थे,
हमने कहा मंत्री जी, कुछ तो सययम रखो मधुमेह हो जायेगा,
मंत्री जी बोले बेटा मेरी छोड़ , तू अभी हवा हो जायेगा।

खिसिआये से हम एक शिक्षित मंत्री के सामने जा डटे, देखा उनके कान तो मोबाइल से सटे,
कह रहे थे कुछ हजार करोड़ के लिए तंग मत किया करो, ऐसे छोटे मोटे फैलसे तो खुद ही लिया करो।

हमने इस मंत्री से गुस्ताखी करने की ठानी और पुछा राजा जानी, क्यों करते हो इतनी बेईमानी,
मंत्रीजी कुछ पल के लिए ठिठके, फिर बोले मुन्ना तुम कौन?
हमने कहा जी, हम वो है जिसके पैसे से चलता है तुम्हारा फ़ोन,

मंत्रीजी हसे और बोले , तुम जनता हो तो हमे पहचानते ही होगे।
सरकारी आदमी और उस पर मंत्री से अभद्रता की कीमत जानते ही होगे।

इतने में कुछ शोर सुना हमने और डोल गया मैडम जी के सिहांसन का पाया,
सभी मंत्री संत्री  दौड़े, किसी ने थामा दाया तो किसी ने बाया .

हम लपके शोर की और, देख वह बज रहा था ढोल,
उस भीड़ में कुछ अभिमन्यु ही दिखे, अर्जुन न थे,
हमला कर गर्वित तो हुए लेकिन  जीत से दूर ही थे।

हमले तीव्र तो था पर सिहासन झेल गया, कुछ पिटे हुए मोहरों के दम पर अपनी बाजी खेल गया,
स्वप्न टूटा और हम अपनी दिनचर्या में व्यस्त हुए,
वहां इंकलाबियो के मनसूबे आज भी ध्वस्त हुए।

लेकिन इस धरती पर और इस युग में भी कई शिवाजी आयेंगे,
इन सत्ता के मद में डूबे वजीरो को मात दे जायेंगे।

इस देश की हस्ती मोहताज नहीं मेरे सपनो की,
इस माता के आँगन में कभी कमी नहीं है अपनों की।


1 comment:

  1. Very good thought.. by the way I am still waiting for your call for one hr a week committment :)

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