जंगल के है ये सब साथी,
चुनमुन चिड़िया, गोलू हाथी.
सर्दी के मौसम में जब सबको ठण्ड सताती है,
बिल्ली मौसी अपने घर से चाय बनके लाती है.
गर्मी में जब सूरज चाचू, इनको मजा चखाते है,
प्यारे प्यारे बन्दर मामा, कुलर पंखे लगवाते है.
बारिश की बूंदों को जब बदल भर भर लाते है,
सभी जानवर अपने सिर पर छाता फिट करवाते है.
कहा जनवरी, कहा फरवरी, जंगल में टिक पाता है,
इन साथियो की मस्ती में दिन जल्दी ढल जाता है.
एक दिन तुम भी छुट्टी लेके इनके जंगल में जाना,
ढूध बतासे, दही जलेबी इनके संग में खाना.
Nice... Champak nostalgia :P
ReplyDeleteAll the avid champak readers can put together such rhyming lines. No Cartoon Networks then but Champaks, Nandans and chandamamas more than made up for it
DeleteGood one.. i always considered champak better than Phantom and our own Chachaji more potent than someone called Superman.
ReplyDeletekya bat hai. bahut achhi hai.
ReplyDeleteThank you Jiju, Actually my belief was if Dhruv, Nagraj and Doga starts manning our city, they would make it a lot more better place to live. Funny thoughts!!
ReplyDeleteThanks Aatoba :)
Nice one.... kya response tha Swara ka ise sunane ke baad ?:)
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