Thursday 29 October 2009

नए मित्र

एक अज्ञानी मन में कई शंकाए होती है, कई भ्रांतिया होती है. जो मन एक बार ज्ञान के सागर में गोते  लगा लेता है, उसे किसी तरह की गलत अवधारणा नहीं रहती. मेरा अज्ञानी मन ये सोच बैठा था की अपनी भावनाए व्यक्त अंग्रेजी में ही की जा सकती है और ये ब्लॉग जगत सिर्फ अंग्रेजी समझ रखने वालो के लिए ही बना है. इसी सोच के चलते अपने अंग्रेजी ब्लॉग पर ही ध्यान केन्द्रित करते हुए हमने अपने लेखक मन की व्याकुलता को शांत किया. आप मेरी अंग्रेजी रचनाये http://whitehopes.blogspot.कॉम/ पर पढ़ सकते है.
इसे तकनिकी युग का वरदान ही कहेंगे की हिंदी प्रेमियों के लिए भी ब्लॉग्गिंग जगत ने सामान प्रेम भावः दर्शाया है. और इस ब्लॉग को सिर्फ चंद दिन ही हुए है लेकिन हमे कई मित्र मिल चुके है जो हमारी ही तरह हिंदी लेखन को लेकर काफी उत्सुक है.
काफी कुछ सिखने एवं लिखने की कामना लिए आगे बढ़ने की मनोकामना रखता हूँ.

आपका मित्र
सिद्धार्थ

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